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Published on December 31, 2020
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महामारी से मिली सीख

हालांकि आगे अभी और चुनौतियां हैं, लेकिन मुझे यकीन है कि महामारी से मिले सीख से हमें विकसित होने और नए दृष्टिकोण को अपनाने में मदद करेंगे।

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यह साल जवाबों से ज्यादा सवालों से घिरा रहा है।  हम में से कई लोग अभी भी महामारी के प्रभाव से उभरे नहीं हैं। हालांकि आगे भी  चुनौतियां हैं, लेकिन फिर भी मैंने समय निकला महामारी से मिली सीख को आपसे साझा करने के लिए ।

मुझे यकीन है कि इस साल में मुझे जो सीख मिला है, वह विकसित होता रहेगा और मुझे नए दृष्टिकोण की ओर अग्रसित करेगा। 

अपनी मानसिक बाधाओं को खत्म करें

एक स्थिति के प्रति आपकी प्रतिक्रिया को निर्धारित करने में आपकी मानसिकता बहुत बड़ी भूमिका निभाता है। यह प्रतिबिंब और पुनरजीवन का मार्ग है। एक बार जब हम अपनी मानसिकता को समझ लेते हैं तो अपने ही विचारों के साथ तालमेल बैठाना आसान हो जाता है। ठीक उसी तरह जैसे कोई नाव बिना चप्पू के सही दिशा में नहीं जा सकती।

हमारे कारीगरों से हमने समझा कि चिंता कि घड़ी में हम कैसे उसे कम कर सकते हैं । उन्होंने अपना पूरा समय बुनाई और कला में समर्पित किया। कला की शक्ति ऐसी है कि यह आपको आपके भीतर से प्रज्वलित करती है। उनकी सकारात्मकता और सरलता ने मुझे इस साल खुद को फिर से बनाने की उम्मीद और ताकत दी है।

उद्देश्य  पर महत्ता

इस अनिश्चित समय के दौरान अपने मूलभूत तत्व को देखने का उद्देश्य समझ में आता है। हमारे पुराने तरीकों का ध्यान करने हुए और इसके अंतिम परिणाम पर जोर देने से हमें यह पता लगाने में मदद मिलेगी कि आगे बढ़ने के लिए हमे क्या करना होगा। हमारी रिसर्च टीम से ऐश्वर्या संगठन के उद्देश्य के साथ अपने उद्देश्य को श्रेणीबद्ध करने का एक उत्कृष्ट उदाहरण है।

उनके काम के हिसाब से उन्हें लॉकडाउन के दौरान कार्य स्थल में रहने की आवश्यकता पड़ी।  चूंकि यह सब डिज़ाइन से जुड़ा हुआ है और घर पर इस तरह के भारी सॉफ्टवेयर को चलाने से पूरा पूरी प्रक्रिया ही धीमी हो जाएगी। काम से पीछे हटने के बजाय उन्होंने विभिन्न टीमों के साथ सामंजस्य बैठाया और यह सुनिश्चित किया कि नए उत्पाद विकास के निष्पादन में कुछ बाकि न रह जाये। 

गतिशील और स्वस्थ रहें

कहीं से भी आसानी से काम करना और सक्रिय रहना ही अब मायने रखता है। कार्यबल को सशक्त बनाने और व्यवसाय के विस्तार के लिए यह एकमात्र समाधान है। हमें स्थिति के अनुसार खुदको ढ़ालने और पुनर्गठन करने की आवश्यकता है। परिवर्तन को अपनाते और स्वीकार करते हुए  हमें आगे बढ़ने की आवश्यकता है। जिसमे यह जानने की क्षमता होनी चाहिए की आपकी आवश्यकता जो है, उसकी आवश्यकता कब है।

रचनात्मक स्वतंत्रता को प्राप्त और सशक्त करें

कर्मचारियों को उनकी रचनात्मकता का पता लगाने के लिए एक स्थान दें। महामारी ने हम सभी को अपने तरीकों से सावधान करने के साथ इसने हमें अपने अंतर्ज्ञान को सुनने के लिए भी प्रेरित किया है।

इसलिए हमें खुद को परत दर परत से अपनी भावनाओं को प्रदर्शित करने की आवश्यकता है, जिससे हाथ में आये काम करने के लिए सहजता से योगदान मिलेगा। बाध्यता परिवर्तन का मार्ग है।

नवाचार जरूरी है 

 सालों तक इधर-उधर दौड़ने के बाद हमारा इंजन अचानक रुक गया है। इस ठहराव के दौरान, नवाचार हमारे वैश्विक जीवन का रक्षक बन गया है। फिर यह पूरे कार्यबल को दूरस्थ रूप से प्रबंधित करना हो, या एक महामारी के बीच रिकॉर्ड तोड़ बिक्री पैदा करना हो, नवाचार ने मार्ग का नेतृत्व किया।

सत्यता ही कुंजी है

महामारी ने हमें सिखाया कि उपभोक्ता आप पर तभी विश्वास करेंगे, यदि आप अपने आप और अपने मूल्यों के लिए प्रमाणिकता और सत्यता होगी। 

विश्वास में बल 

विश्वास वह रस्सी है जिसमे सब कुछ एक साथ बंधा हुआ है। महामारी ने मुझे विश्वास के मूल्य पर जोर देने के महत्व को समझाया। यदि विश्वास नहीं होता, तो जयपुर रग्स बरकरार नहीं रह सकता था। यह  मुझे मेरी तकनीकी टीम की याद दिलाता है जिन्होंने, कई रातों देर-देर तक काम किया अपनी नींद का ध्यान दिए बगैर, अपने काम को समय पर या उससे पहले भी देकर।

सहानुभूति, विश्वास, पारदर्शिता और अखंडता जैसे गुणों पर उन्होंने जोर दिया है, जिसके परिणामस्वरूप केवल चार महीने में एक साल का कार्य पूरा हो गया है। टेक टीम ने कार्य संस्कृति में विश्वास क्षेत्र में आयामों की एक नयी श्रृंखला खोल दी है। 

केंद्रित, परिस्थिति के अनुरूप 

हमें पीछे मुड़ कर देखने के बजाय सामने के बदलाव को स्वीकार कर इससे सीखने पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है। नेताओं के रूप में हमें परिस्थिति के अनुरूप खुद को ढालने के विषय पर विचार करना होगा।

सचेत रहें 

हमारा दिमाग फोल्डर से भरे मेमोरी कार्ड की तरह है। इसमें ईमेल, कॉल, चर्चा, तर्क, विचार और समाधान अब संग्रहीत किए गए हैं। सब कुछ बिना किसी के ढेर की तरह है। हम अपने कार्यों के प्रति इतनी मूर्खता के साथ जा रहे थे।  जैसे-  एक मरी हुई मछली जल के प्रवाह के साथ जाती हो। यह समय आत्मनिरीक्षण के लिए सबसे बेहतर है।

प्रबंधन के तारों को एकजुट करना

लॉकडाउन ने हमें समझाया कि सभी यात्राएं आवश्यक नहीं थीं। विश्वास के साथ दूरस्थ पर भी कार्य संभव है। मेरा मानना ​​है कि कंपनियों को सेल्फ मैनेजमेंट को बढ़ावा देने की जरूरत है। इस समय में खुद को उत्पादक बना के रखने का सेल्फ मैनेजमेंट सबसे अच्छा तरीका है।

स्थिरता और खपत

व्यवसाय, निर्माण और अनावश्यक खपत द्वारा संचालित थे। हम अपनी जरूरतों को पूरा करने बजाय लालच और उपभोग की दौड़ में फंस गए थे। महामारी ने हमें यह समझाया कि हमें अपने तरीकों को रोकने और प्रतिबिंबित करने की आवश्यकता है।

उत्पादन

महामारी के दौरान मनुष्य रोबोट के रूप में कम परिवर्तित हो रहे हैं और जिसकी आवश्यक है उन्हें उस पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। इससे दक्षता में वृद्धि, और अंततः गुणवत्ता और मात्रा में सुधार हुआ है।

मानवीय संसाधन

महामारी और दूरस्थ कार्य ने हमें एहसास दिलाया कि हमारे पास चुनने के लिए प्रतिभाओं का एक महासागर है। ऐसे व्यक्ति का नियुक्तिकरण, जो  उद्देश्य से संचालित हो, जो आपके संगठन के साथ पंक्तिबद्ध हो सके और महामारी के दौरान परिस्थिति आसान बनाने के लिए मार्ग प्रशस्त करे।

इस समय को बदलने और सुधारने के साधन के रूप में लें, कि हम अपना व्यवसाय कैसे चलाते हैं। व्यवसायों में तनयता को प्रोत्साहित करके हम  शुरुआत से ही किसी भी तूफान का सामना कर सकते हैं। महामारी सकारात्मक परिवर्तन के लिए एक मुख्य कारक हो सकती है।

एक चीज जो नहीं बदलनी चाहिए, वो है आपका ध्यान एक व्यावसायिक संस्कृति बनाने पर केंद्रित हो जो ,विश्वास पर बनाया गया है।

याद रखें, एक नेता एक प्रकाश स्तंभ की तरह है जो तूफान में  संगठन का मार्गदर्शन करता है।

यहाँ पर और अधिक पढ़ें – बीस सबक जो, मैंने महामारी से सीखे

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